हिंदी
कलम मेरी पूछती है, लिखु किस मसले पे
सोच सोच के मिलते है मसले भी हज़ारो मे.
चलो आज छेड़ते है एक मसला बातों बातों मे,
खो गयी है पहचान हमारी इन बातों मे,
राष्ट्र को आगे बढाना है,
परंतु हिंदी को राष्ट्रभाषा नही बनाना है,
देश से राष्ट्र कैसे बनाओगे,
जब एक राष्ट्रभाषा नहीं लापाओगे,
एक देश है तो भाषा भी एक होना चाहिए,
क्यु हमे अपनी अलग अलग राष्ट्रभाषा चाइये,
नही देखा कोई देश हिंदुस्तां जैसा,
जहा हो युद्ध भाषाओं का...
सोच सोच के मिलते है मसले भी हज़ारो मे.
चलो आज छेड़ते है एक मसला बातों बातों मे,
खो गयी है पहचान हमारी इन बातों मे,
राष्ट्र को आगे बढाना है,
परंतु हिंदी को राष्ट्रभाषा नही बनाना है,
देश से राष्ट्र कैसे बनाओगे,
जब एक राष्ट्रभाषा नहीं लापाओगे,
एक देश है तो भाषा भी एक होना चाहिए,
क्यु हमे अपनी अलग अलग राष्ट्रभाषा चाइये,
नही देखा कोई देश हिंदुस्तां जैसा,
जहा हो युद्ध भाषाओं का...