...

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ऐ चाहत..
ऐ चाहत...
क्या तुम्हारी फितरत में है
अधूरा रह जाना..?
या, पूरा होना नसीब में नही तुम्हारे।
या फिर चुनती हो सिर्फ,
अपने पसंद के लोगो को,
और हो जाती हो पूरी
उनके लिए ।
ऐ चाहत...
तू जुड़ी है मुझसे इसलिए...
शिकायत नही करता तुझसे,
क्योंकि जन्म स्थान ह्रदय मेरा ही था।
पर शुरुआत में पूरा साथ तेरा भी था।
अब भूल गई शायद,
क्या.. तुम्हारा फर्ज है!
अगर सच्ची है भावना तो,
अधूरी क्यों...?
पूरा होने में क्या हर्ज है।

© ALOK Sharma...✍️

( चाह, इच्छा, सपना, ख़्वाब, )

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