...

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क्यों तुम इतनी अच्छी होती जाती हो
यू तो तुम सोच कर हताश हो जाती हो
लेकिन बताने में फिर भी जैसे शर्माती हो
जब मैं रुकती हु तो खुद ही आगे आगे चली जाती हो
फिर कहती तो हो तुम चली जाती हो
क्यू तुम इतनी हताश हो जाती हो
क्यू तुम कुछ नही बताती हो
यू तो इतनी खुदगर्जी है तुम में लेकिन
फिर भी हर बार हमदर्द बन जाती हो
लेकिन फिर भी बोलता
क्यू तुम इतनी अच्छी होती जाती हो
© palupuchi