ख़ुद से प्यार
क्यों तू खुद से प्यार नहीं कर सकती ।
क्यों तू ढूंढे किसी और को तुझ से प्यार करने को ।
क्यों तू दिखा रही है दुनिया को जो तू है ही नहीं ।
जो तुझे तेरे चेहरे के रंग से देखने की कोशिश करे ।
क्यों तू उन्हें हक दे रही है तुम्हे नीचा दिखाने का ।
क्यों तू जैसी है वैसे खुल के जी नहीं सकती ।
क्यों तू अपनी मर्जी से अपने पसंद से कुछ कर नहीं सकती ।
चमड़े काले...
क्यों तू ढूंढे किसी और को तुझ से प्यार करने को ।
क्यों तू दिखा रही है दुनिया को जो तू है ही नहीं ।
जो तुझे तेरे चेहरे के रंग से देखने की कोशिश करे ।
क्यों तू उन्हें हक दे रही है तुम्हे नीचा दिखाने का ।
क्यों तू जैसी है वैसे खुल के जी नहीं सकती ।
क्यों तू अपनी मर्जी से अपने पसंद से कुछ कर नहीं सकती ।
चमड़े काले...