"कुसंस्कारी"
"माँ",ये शब्द ब्रह्मांड का सबसे पूजनीय शब्द है। इस शब्द पर प्रश्नचिन्ह लगाना अपने आप मे संदेह का विषय है। क्योंकि ये शब्द सृष्टि के निर्माण से जुड़ा है। ये एकमात्र ऐसा शब्द है जिसे स्त्री एवं देवी दोनो को संबोधित किया जाता है।
परंतु इतिहास साक्षी माँ शब्द कई बार तिरस्कृत हुआ है। पहले कुछ माताएं अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतू अपनी बहुओं को यातनाये देती थी। राम को वनवास भी एक माँ ने ही भेज था।
आज के वर्तमान परिस्थितियों में माँ शब्द सबसे ज्यादा शर्मसार हो रहा है। बहुओं को प्रताड़ित करने वाली परम्परा लगभग खत्म होने के कगार पर है क्योंकि वर्तमान में पुरूष अपनी पत्नी की इच्छाओं का सम्मान करता है और जीवन साथी के चुनाव में भी वो अपनी पारिवारिक मनोस्थिति को ध्यान में रखता है। मात्र मुख की सुंदरता से विवाह का निर्णय नही होता।
दूसरी तरफ कुछ लड़की पक्ष बहुत ही चतुराई से लड़के को फसाने के लिए जाल बिछाते हैं। लड़का जहाँ लड़की को अपने परिवार का सदस्य बनाने के बारे में सोचता है वहीं दूसरी तरफ लड़की पक्ष की नजर लड़के के पैसे और जायदाद में उसके हक को लेकर रहती है। इन सब मे लड़की चुकी नए घर मे जाने वाली होती है तो उसे सही गलत कुछ समझ मे नही आता। लड़की के माता पिता हमेशा लड़की के वैवाहिक जीवन पर एक शातिर अपराधी की तरह नजर बनाए रखतें हैं। विवाह के उपरांत वास्तविक युध्द प्रारम्भ होता है जिसकी सेनापति होती है लड़की की माँ। हमेशा टेलीफोन के माध्यम से वो अपने बेटी का ध्यान अपने ओर खिंचे रखती है। ससुराल की एक एक बात वो बेटी से पता करते रहती है ताकि उसे बेटी के दिमाग मे ससुराल के प्रति द्वेष भावना भरने का मौका मिले।
उधर लड़का और उसके परिवार वाले लड़की को हर वो माहौल देने का प्रयास करतें हैं जिससे वो घर मे जल्दी से घुल मिल जाये। लड़की की माँ धीरे धीरे बेटी के दिमाग मे शक का बीज बोना शुरू करती है जिससे लड़की का विश्वास ससुराल वालों पर बनने से पहले ही टूट जाता है। बीच बीच मे लड़की की माँ अपने पति के द्वारा लड़के को अप्रत्यक्ष रूप से फ़ोन करके एक नपुंशक पुरूष बनने एवं परिवार को छोड़कर अलग रहने के लिए प्रेरित करती हैं।
धीरे-धीरे इस कारण लड़के को बात समझ मे आने लगती है और वो लड़की के परिवार से दूरी बनाने लगता है। क्योंकि जन्म ,भरण पोषण,और संस्कार देकर अपने पैरों पर खड़ा करने वाले बूढ़े माँ-बाप के बारे में गलत सुनना किसी भी लड़के को अच्छा नही लगेगा। परंतु पत्नी इस बात को समझने के बजाए ये सोचने लगती है कि मेरा पति मुझसे प्यार नही करता और मेरे परिवार से दूर रहता है।
इसी बीच लड़की गर्भवती हो जाती है और लड़के के परिवार में खुशी का माहौल हो जाता है और लड़की की माँ के लिए सबसे अच्छा मौका अपना ब्रह्मास्त्र चलाने का।
अपनी बेटी को वो पति की नाराजगी की वजह बताती है उसका गंदा चरित्र, उसके परिवार वालों का पैसे का लालच। लड़की के मन मे ये बात घर कर जाती है और वो आये दिन पति से इन बातों को लेकर झगड़ा करती है। एक तरफ पति अपनी पत्नी से प्रेम करता है दूसरी तरफ पत्नी माँ की बातों में आकर अपने पति और उसके परिवार को नीचा दिखाने में लग जाती है। इन सब चीजों की जानकारी लड़के के ससुर को होती है लेकिन वो खुद षड्यंत्र का हिस्सा है वो भी दामाद को धमकाता है। इसी तनाव के माहौल में बच्चे का जन्म होता है। अब लड़की की माँ और उसके परिवार का सहनशीलता का बांध टूट जाता है। लड़की का पूरा परिवार अब लड़के के पूरे परिवार को फंसाने की तैयारी करने लगता है। लड़की सब सुविधाओं के बाद भी पति की इज्जत करना बंद कर देती है,पति को गाली देना उस पर हाथ उठाना आम हो जाता है। बच्चे के कारण पति चुप चाप सब कुछ सहने लगता है। इसी बीच एक दिन मौका बनाकर लड़की के घरवाले वाले पति के परिवार वालों पर झूठा दहेज,मानसिक प्रताड़ना, मारपीट का केस कर देतें हैं। और हँसतें खेलते परिवार में आग लग जाती हैं। इस कार्य में वो जरा भी शर्म नही करतें।
ये सब काम सिर्फ और सिर्फ कुसंस्कार का परिणाम है लड़की की माँ का। अब क्या लड़की को जन्म देने वाली ऐसीऔरत को माँ जैसे पवित्र शब्द से संबोंधित करना सही होगा?
© RamKumarSingh(राम्या)
परंतु इतिहास साक्षी माँ शब्द कई बार तिरस्कृत हुआ है। पहले कुछ माताएं अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतू अपनी बहुओं को यातनाये देती थी। राम को वनवास भी एक माँ ने ही भेज था।
आज के वर्तमान परिस्थितियों में माँ शब्द सबसे ज्यादा शर्मसार हो रहा है। बहुओं को प्रताड़ित करने वाली परम्परा लगभग खत्म होने के कगार पर है क्योंकि वर्तमान में पुरूष अपनी पत्नी की इच्छाओं का सम्मान करता है और जीवन साथी के चुनाव में भी वो अपनी पारिवारिक मनोस्थिति को ध्यान में रखता है। मात्र मुख की सुंदरता से विवाह का निर्णय नही होता।
दूसरी तरफ कुछ लड़की पक्ष बहुत ही चतुराई से लड़के को फसाने के लिए जाल बिछाते हैं। लड़का जहाँ लड़की को अपने परिवार का सदस्य बनाने के बारे में सोचता है वहीं दूसरी तरफ लड़की पक्ष की नजर लड़के के पैसे और जायदाद में उसके हक को लेकर रहती है। इन सब मे लड़की चुकी नए घर मे जाने वाली होती है तो उसे सही गलत कुछ समझ मे नही आता। लड़की के माता पिता हमेशा लड़की के वैवाहिक जीवन पर एक शातिर अपराधी की तरह नजर बनाए रखतें हैं। विवाह के उपरांत वास्तविक युध्द प्रारम्भ होता है जिसकी सेनापति होती है लड़की की माँ। हमेशा टेलीफोन के माध्यम से वो अपने बेटी का ध्यान अपने ओर खिंचे रखती है। ससुराल की एक एक बात वो बेटी से पता करते रहती है ताकि उसे बेटी के दिमाग मे ससुराल के प्रति द्वेष भावना भरने का मौका मिले।
उधर लड़का और उसके परिवार वाले लड़की को हर वो माहौल देने का प्रयास करतें हैं जिससे वो घर मे जल्दी से घुल मिल जाये। लड़की की माँ धीरे धीरे बेटी के दिमाग मे शक का बीज बोना शुरू करती है जिससे लड़की का विश्वास ससुराल वालों पर बनने से पहले ही टूट जाता है। बीच बीच मे लड़की की माँ अपने पति के द्वारा लड़के को अप्रत्यक्ष रूप से फ़ोन करके एक नपुंशक पुरूष बनने एवं परिवार को छोड़कर अलग रहने के लिए प्रेरित करती हैं।
धीरे-धीरे इस कारण लड़के को बात समझ मे आने लगती है और वो लड़की के परिवार से दूरी बनाने लगता है। क्योंकि जन्म ,भरण पोषण,और संस्कार देकर अपने पैरों पर खड़ा करने वाले बूढ़े माँ-बाप के बारे में गलत सुनना किसी भी लड़के को अच्छा नही लगेगा। परंतु पत्नी इस बात को समझने के बजाए ये सोचने लगती है कि मेरा पति मुझसे प्यार नही करता और मेरे परिवार से दूर रहता है।
इसी बीच लड़की गर्भवती हो जाती है और लड़के के परिवार में खुशी का माहौल हो जाता है और लड़की की माँ के लिए सबसे अच्छा मौका अपना ब्रह्मास्त्र चलाने का।
अपनी बेटी को वो पति की नाराजगी की वजह बताती है उसका गंदा चरित्र, उसके परिवार वालों का पैसे का लालच। लड़की के मन मे ये बात घर कर जाती है और वो आये दिन पति से इन बातों को लेकर झगड़ा करती है। एक तरफ पति अपनी पत्नी से प्रेम करता है दूसरी तरफ पत्नी माँ की बातों में आकर अपने पति और उसके परिवार को नीचा दिखाने में लग जाती है। इन सब चीजों की जानकारी लड़के के ससुर को होती है लेकिन वो खुद षड्यंत्र का हिस्सा है वो भी दामाद को धमकाता है। इसी तनाव के माहौल में बच्चे का जन्म होता है। अब लड़की की माँ और उसके परिवार का सहनशीलता का बांध टूट जाता है। लड़की का पूरा परिवार अब लड़के के पूरे परिवार को फंसाने की तैयारी करने लगता है। लड़की सब सुविधाओं के बाद भी पति की इज्जत करना बंद कर देती है,पति को गाली देना उस पर हाथ उठाना आम हो जाता है। बच्चे के कारण पति चुप चाप सब कुछ सहने लगता है। इसी बीच एक दिन मौका बनाकर लड़की के घरवाले वाले पति के परिवार वालों पर झूठा दहेज,मानसिक प्रताड़ना, मारपीट का केस कर देतें हैं। और हँसतें खेलते परिवार में आग लग जाती हैं। इस कार्य में वो जरा भी शर्म नही करतें।
ये सब काम सिर्फ और सिर्फ कुसंस्कार का परिणाम है लड़की की माँ का। अब क्या लड़की को जन्म देने वाली ऐसीऔरत को माँ जैसे पवित्र शब्द से संबोंधित करना सही होगा?
© RamKumarSingh(राम्या)