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मन्नत-मेरा प्यार❣️
मेरा इक ख़्वाब सा था वो
बस इक जज़्बात सा था वो
मिला जो अब मुझे जाकर
न जाने अब तक कहाँ था वो
जिसे मैं सोचकर खुश थी
मुक़द्दर में लिखा था वो
मुझे सब लोग कहते थे
मैं ख्वाबों की कहानी हूँ
कभी जो सच भी न होती
मैं बहती वो रवानी हूँ
मगर यूँ सच नही होता
ये ऐसा लोग कहते हैं
जहाँ शिद्दत से मांगा हो
खुदा भी दिल से देते हैं
कहुँ उसे खुदा या फ़िर
मोहोब्बत नाम दूं उसको
मुझे जो प्यार करता है
भला क्या काम दूं उसको
महर हो इश्क़ पर मेरी
कुबूल मन्न्त हर हो जाये
मिले हर रोज़ इश्क़ उसका
मेरा जन्नत घर हो जाये...✍️❣️❣️❣️
© All Rights Reserved
बस इक जज़्बात सा था वो
मिला जो अब मुझे जाकर
न जाने अब तक कहाँ था वो
जिसे मैं सोचकर खुश थी
मुक़द्दर में लिखा था वो
मुझे सब लोग कहते थे
मैं ख्वाबों की कहानी हूँ
कभी जो सच भी न होती
मैं बहती वो रवानी हूँ
मगर यूँ सच नही होता
ये ऐसा लोग कहते हैं
जहाँ शिद्दत से मांगा हो
खुदा भी दिल से देते हैं
कहुँ उसे खुदा या फ़िर
मोहोब्बत नाम दूं उसको
मुझे जो प्यार करता है
भला क्या काम दूं उसको
महर हो इश्क़ पर मेरी
कुबूल मन्न्त हर हो जाये
मिले हर रोज़ इश्क़ उसका
मेरा जन्नत घर हो जाये...✍️❣️❣️❣️
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