...

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तुम्हें भूलना ही था
तुम भूल गई तुम्हें भूलना ही था,
जमाने की रंगत में झूलना ही था ||
मगर आजकल कौन जूझता है,
अबुझ पहेलियों को कौन बूझता है ||
मैं हवा का झोंका हूँ कहीं और निकल जाऊंगा,
या तो मिट जाऊंगा या किसी रूह...