...

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मैं कौन होता हूँ .....
कभी ख्वाबों के बारे में नहीं सोचा की क्या देखू
मैं अक्सर नींद में भी अपनी आँखें खोल सोता हूँ

सिसकता सुन न ले कोई मुझे तन्हाई में आकर
इसी बाबत मैं खुलकर महफिलों में रोज रोता हूँ

मैं अपनी बदनसीबी का बताऊँ हाल क्या तुमको
मैं वो बेबस हूँ की गम रोज पाता रोज खोता हूँ

मुझे गुलशन नहीं प्यारा मैं...