ख्याल... यूँ ही
आज शाम बैठे बैठे
यूँ ही ख्याल पकने लगा
मन थक गया है या
शरीर थकने लगा
जिम्मेदारियों का बोझ
कल आज कल
रोज़ रोज़
क्यों आक्रोश दहकने लगा
यही सोच बैठे बैठे
यूँ ही ख्याल पकने लगा
सब तो हैं अपने
प्रत्यक्ष या हो सपने
उनकी ही खुशी में
ये दिल महकने लगा
फिर...
यूँ ही ख्याल पकने लगा
मन थक गया है या
शरीर थकने लगा
जिम्मेदारियों का बोझ
कल आज कल
रोज़ रोज़
क्यों आक्रोश दहकने लगा
यही सोच बैठे बैठे
यूँ ही ख्याल पकने लगा
सब तो हैं अपने
प्रत्यक्ष या हो सपने
उनकी ही खुशी में
ये दिल महकने लगा
फिर...