अल्हड़ बचपन
वो बचपन के दिन प्यारे प्यारे,
वो बेफ़िक्र जीवन खुशियाँ कितने सारे ।
वो मम्मी-पिताजी की मेरी छोटी सी सफलता पर बड़ी खुशी,
आज कितनी भी खुशी फिर भी मायुशी।
वो खेल-खिलौनों के लिए आपस में लड़ना,
मम्मी की डांट फिर चुप होकर पढ़ना।
वो कल कितना हसीन और रंगीन,
आज कितनी जिम्मेदारियां और रहना गमगीन।
वो बचपन के दिन प्यारे प्यारे,
कितने हसीन पल होते हैं हमारे।
:दिव्य प्रकाश मिश्र
© Divya Prakash Mishra
वो बेफ़िक्र जीवन खुशियाँ कितने सारे ।
वो मम्मी-पिताजी की मेरी छोटी सी सफलता पर बड़ी खुशी,
आज कितनी भी खुशी फिर भी मायुशी।
वो खेल-खिलौनों के लिए आपस में लड़ना,
मम्मी की डांट फिर चुप होकर पढ़ना।
वो कल कितना हसीन और रंगीन,
आज कितनी जिम्मेदारियां और रहना गमगीन।
वो बचपन के दिन प्यारे प्यारे,
कितने हसीन पल होते हैं हमारे।
:दिव्य प्रकाश मिश्र
© Divya Prakash Mishra