आवाज दी,,,
जी रहे थे अंधरो में की तभी तुमने आवाज दी,,,
आवाज ऐसी दी की बस गई रूह तक,,,
सब भूल जाती थी जब जब वो पुकारता मुझे
आवाज उसने सुर ताल में पिरोई थी
उसका हर सुर मुझे अपनी ओर बुलाता रहा
ऐसा लगता मानो मेरी जीवन की कहानी हो वो
उसने मुझे जीने की नई सौगात दी,,,,
जी रहे थे अंधेरों में की तभी तुमने आवाज दी,,,,,,
छोड़ चुकी उसकी दुनिया में मन किया वापसी...
आवाज ऐसी दी की बस गई रूह तक,,,
सब भूल जाती थी जब जब वो पुकारता मुझे
आवाज उसने सुर ताल में पिरोई थी
उसका हर सुर मुझे अपनी ओर बुलाता रहा
ऐसा लगता मानो मेरी जीवन की कहानी हो वो
उसने मुझे जीने की नई सौगात दी,,,,
जी रहे थे अंधेरों में की तभी तुमने आवाज दी,,,,,,
छोड़ चुकी उसकी दुनिया में मन किया वापसी...