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रेगिस्तान
यादों के हसीन लम्हें
कुछ टुकड़े करीने से
दिल की बेतरतीब किताब
कुछ सूखे सुर्ख गुलाब
महक जाते है अक्सर
खुद से जब बात होती है
जिक्र एक तुम्हारा
चाय के हर घूंट के साथ
सिंदूरी ढलती शाम में
यादों का एक रेगिस्तान
और दूर एक नमी तुम
बेपरवाह चला जाता हूं
कुछ रेत सी याद समेटे हुए
© "the dust"
कुछ टुकड़े करीने से
दिल की बेतरतीब किताब
कुछ सूखे सुर्ख गुलाब
महक जाते है अक्सर
खुद से जब बात होती है
जिक्र एक तुम्हारा
चाय के हर घूंट के साथ
सिंदूरी ढलती शाम में
यादों का एक रेगिस्तान
और दूर एक नमी तुम
बेपरवाह चला जाता हूं
कुछ रेत सी याद समेटे हुए
© "the dust"
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