...

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मन की बात
झांकना पड़ता है,
अपने अंदर भी अकसर,
असली चेहरे का आईने में ,
दीदार नहीं होता,
सुना कीजिए कभी कभी,
अपने मन की बात,
ख़ुद से ज्यादा,
कोई समझदार नहीं होता,
ज़रूरी नहीं है बांटना,
हर खुशी हर दर्द,
ख़ुद से ज्यादा,
कोई राज़दार नहीं होता,
कभी अपने साथ भी,
वक्त बिताया कीजिए,
ख़ुद से ज्यादा,
कोई वफ़ादार नहीं होता।
- राजेश वर्मा
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