बग़ावत
#दूर
दूर #फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन #बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
#वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दिल ए आंगन में #रक्स कर रहा कोई
दिल ए #महबूब में उतरना नहीं आसां
उसके...
दूर #फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन #बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
#वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दिल ए आंगन में #रक्स कर रहा कोई
दिल ए #महबूब में उतरना नहीं आसां
उसके...