...

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इज़हार_करके_देखो
कभी इंकार कभी इज़हार करके देखो तुम
अजनबी से इक दफ़ा प्यार करके देखो तुम
क्यों ना आज फिर हाल-ए-दिल को बयां करों
ज़रा आजकल बहाने से दीदार करके देखो तुम

नए सफ़र के नए अफ़्सानों को गुनगुनाते चलों
अपने ज़ज्बातों को यूं गुलज़ार करके देखो तुम
ख़ामोशी का बढ़ता हुआ खुमार दोनों तरफ है
क्यों ना मोहब्बत का इज़हार करके देखो तुम

एहसासों को अल्फ़ाजों की इक ज़ुबान बना दें
अनजान शख़्स पे कुछ अधिकार करके देखो तुम
इंतज़ार का हर हिसाब ख़तो में यूं समेटे हुए है
कभी तो नोंक-झोंक का किरदार करके देखो तुम

कोरे पन्नों पे मोहब्बत की उल्फ़त का नाम लिख दें
इशारों ही इशारों से थोड़ी तकरार करके देखो तुम
लबों पे इनकार का हल्का सा डबडबा रखकर चलों
अजी इश्क़ - मोहब्बत का इज़हार करके देखो तुम

इन नज़र में वफ़ा की क़समों की इनायत हो गई
इंतज़ार के नाम तमाम इतवार करके देखो तुम
आहिस्ता-आहिस्ता हया कुछ इस कदर बढ़ती रही
खुद को उसकी बाहों में गिरफ़्तार करके देखो तुम

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes