हाँ, काफ़ी अन्तर है तुम्हारे और मेरे प्रेम में
हाँ, अन्तर है तुम्हारे और मेरे प्रेम में
शोर मचाती है तुम्हारा प्रेम
जब जब कलम से उतरती है,
मेरी ख़ामोशी ही मेरा प्रेम है
जो अश्क बन...
शोर मचाती है तुम्हारा प्रेम
जब जब कलम से उतरती है,
मेरी ख़ामोशी ही मेरा प्रेम है
जो अश्क बन...