भोर के पर्दे
#भोरकेपर्दे
प्रातः बैठी घूँघट ओढ़े
किरणें अपनी अँखियाँ खोले
पीली सरसों सी धूप चमकती
मोरे हृदय के पट खोले
झीनी झीनी पर्दे से दिखती
पलकों की निंदिया खोले
रात ख्वाबों में निकलती
प्रातः घूँघट की...
प्रातः बैठी घूँघट ओढ़े
किरणें अपनी अँखियाँ खोले
पीली सरसों सी धूप चमकती
मोरे हृदय के पट खोले
झीनी झीनी पर्दे से दिखती
पलकों की निंदिया खोले
रात ख्वाबों में निकलती
प्रातः घूँघट की...