वो दौर
वो दौर
हर चौखट को में घूम आया
अब वह दरवाज़ा कोनसा होगा
जब सपनो के पीछे अपने होंगे
न जाने वो दौर कोनसा होगा
आंखों में आंसू की जगह
रात के स्वर्णिम सपने होगे
उन सपनों कि खुशियों में
अपने पराये मैं...
हर चौखट को में घूम आया
अब वह दरवाज़ा कोनसा होगा
जब सपनो के पीछे अपने होंगे
न जाने वो दौर कोनसा होगा
आंखों में आंसू की जगह
रात के स्वर्णिम सपने होगे
उन सपनों कि खुशियों में
अपने पराये मैं...