...

8 views

खोने का डर
वो भी दिन थे जब डरता था ,खो न दू तुमको महफिल में
भुलुंगा कैसे तुमको फिर, फिर कौन रहेगा इस दिल में ।
लफ्ज़ जुदाई सुनते ही ,अंधियारा सा छा जाता था
बस सोच के ही उस पल को मैं, कैसा घबरा जाता था
पर अब शायद सब बदल गया, या मुझमें वो बात ही नही रहे
जो तुमको मुझमें जगाते थे ,अब वो जज्बात नहीं रहे
क्या हुआ मुझे या तुम्हें ही कुछ, अब शायद इसका वक्त नहीं
जाओ गर जाते ही हो तो, क्या पता मिले रास्ते में कहीं।
© Anjaan