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**किसने पूछा तो मैं जाना, अभी भी जिंदा हूँ**

किसने पूछा तो मैं जाना,
अभी भी जिंदा हूँ।
उन्होंने बोली मेरा दिल पत्थर है,
धड़कता है पर बेकार है,
फिर भी जिंदा हूँ।

उम्मीदों की राहें छोड़ी,
ख्वाबों से मुंह मोड़ा,
आँखों में अश्कों का सागर,
फिर भी होंठों पर हँसी का मुखड़ा।
ग़मों का बोझ उठाए,
चलते रहने की ज़िद में,
टूटे सपनों की किरचें,
पैरों में चुभते, फिर भी जिंदा हूँ।

चुप्पी की चादर ओढ़े,
दर्द की भाषा जाने,
दिल की हर धड़कन,
एक सिसकी में बदले,
वक्त की तेज़ रफ्तार से,
दौड़ते रहना,
मंजिलों का कोई ठिकाना नहीं,
फिर भी जिंदा हूँ।

झूठी मुस्कानों का खेल,
लोगों को भरमाता,
सच्चाई के हर पहलू को,
झूठ की चादर से छुपाता,
दिल की वीरानी में,
खुशियों की तलाश,
हर रात अंधेरी,
हर दिन उजास,
फिर भी जिंदा हूँ।

ज़िन्दगी की कश्ती,
तूफानों से लड़ती,
मौत की दस्तक,
दरवाजे पर पड़ती,
हर साँस एक चुनौती,
हर पल एक युद्ध,
हार मानने का नहीं,
ये दिल कहता, फिर भी जिंदा हूँ।

किसने पूछा तो मैं जाना,
अभी भी जिंदा हूँ।
उन्होंने बोली मेरा दिल पत्थर है,
धड़कता है पर बेकार है,
फिर भी जिंदा हूँ।
© Deba Rath