कि मेरे गलियारे गुलज़ार तो नहीं ,लेकिन सूखे भी नहीं
चौबारा खोल रखा हैं पर कोई आता नहीं
कही कोई अपना मुझसे रूठा तो नहीं
जिन्दगी भी पत्र भेजकर अक्सर मुझसे यह प्रश्न किया करती हैं
कही तेरे गलियारों में...
कही कोई अपना मुझसे रूठा तो नहीं
जिन्दगी भी पत्र भेजकर अक्सर मुझसे यह प्रश्न किया करती हैं
कही तेरे गलियारों में...