...

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बारिशे
मेरे हिस्सेकी सुहानी बारिशे कहीं और बरस गयी
मेरी आँखे प्यासी थी फिर भी जम के बरस गयी !

दिल के गहरे समंदर मे पानी तो बहुत था मगर
मुहब्बत की शिकस्त कश्ती साहिल पर तरस गयी !

जलाये गये अरमाँ बे-सब्र दिल के मुहब्बत मे
आग के दरिया मे जिंदगी पानी से झुलस गयी !

युँ तो कई गलिया थी आशिकी के लिए बाजार मे
मजा़र-ए -इश्क मे "संदीप" गम-ए-जिंदगी बस गयी !
© संदीप देशमुख