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दर्द से रिहाई ना मिली
दर्द से रिहाई ना मिली मुझे
अपनो की दुहाई ना मिली मुझे
चलते रहें रास्ते पर हम
कहीं पर भी राहत ना मिली
मिले तो ज़ख्म यूं तो हजारों मुझे
बिन जख्म जो दर्द मिले उनका
मरहम ना मिला
लफ्ज़ ख़ामोश और दिल में हलचल हैं
इस जहां में हर शक्श के दो पल है
एक अच्छा है तो दूसरा बुरा है
मुझे लगता था हर शक्श अच्छा है
मैं ही बुरा था कल भी और आज भी
हर चीज मिट्टी से बनी और मिट्टी में मिल
जाएगी ।
#emotions
#writcopoem
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