...

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बेटी __
RAAJ PREEET

मैया तू ना पूछ कैसी हूं
हू तो थारी ने थारा जैसी हूं
जो वीना होंचे शोर मचाती ती
जो दादा से लड़ जाती ती
जो घरनो काम निपटाती ती
जो वणी वनाई खाती ती
जो वाडा मा लहराती ती
जो रोटी के ली दे थने दौड़ाती ती
जो फटकार खाई मुंडो उतारी भई जाती ती
जो लड़कपन थारा बरामदा में विताया है
आजे घणों याद आयो है
एकली बैठी विचार करी री
आखन मा पाणी पेला ती ज है
मा थारी लाडो थारा जैवी है
आज हुई सियानी तो परघर मल्यो अच्छो के बुरो मलयो
थारा वागीचा ती आ इक फूल कम पड़यो
जो हपनो थो वू तो खोवई गयो
कई ती कई जीवन भयो खिलौनों का संगम छूट गयो
थारा वाडा मा पली बडी
जिन्दगी आ केवा मोड़ पर खड़ी
काम की लागी है छड़ी सहूति पेला परोड़े म्हारी नींद की कि मे कमी
फेर अपना धरम निभाती हूं
परोडे ती दोपहरी तक काम निपटाती हू
जो बच गई वा रोटी खाती हूं
इब वना डरे फरना भया मुश्किल
चहरे पर लुगड़ी रेवे है ने म्हारो मुंडो बंद रेवे है
किसी से कोई बात ना कहती थारती मड़वा को जी है करतो
पण हायरा ना द्वार ती पग ना बहार काडती
जिन्दगी वी इब कोई शय जैवी हैं
मा थारी लाडो थारा जैसी है
✍✍
© आवारा पागल दीवाना