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बेनाम रिश्ता
बेनाम रिश्ता था, उसका और मेरा
ना दोस्ती थी, ना प्यार था
सिर्फ नजरों का टकराव था ।
वो हँसता था, मैं हँसती थी,
दिनभर का यही काम था ।
ना पढाई थी ,ना कोई लक्ष्य था,
दोस्तों से अलगाव था ।
सपनों के बादल पे तैरना,
बस यही मुझे भाता था ।
और डायरी के पन्ने भरना,
बस यही मुझे आता था ।
फिर एक दिन मेरी आँख खुली,
सपनों की दुनिया से बाहर हुई ।
मैं स्टेशन तो पहुंच गई,
लेकिन ट्रेन पहले ही खुल गई ।
उम्र का दोष कहला कर,
मेरी गलतियाँ छिप गई ।
लेकिन दूसरों की नजरों में,
मैं क्यों इतना गिर गई।
-प्रियम
#poetry
#lovediary
#OpenMicContest
#writco
#love
#write
#lovelylife
#WritcoPrompt
#writcopoemchallegene
#life
#MERAISHQ
#ALWAYSMISSYOU
ना दोस्ती थी, ना प्यार था
सिर्फ नजरों का टकराव था ।
वो हँसता था, मैं हँसती थी,
दिनभर का यही काम था ।
ना पढाई थी ,ना कोई लक्ष्य था,
दोस्तों से अलगाव था ।
सपनों के बादल पे तैरना,
बस यही मुझे भाता था ।
और डायरी के पन्ने भरना,
बस यही मुझे आता था ।
फिर एक दिन मेरी आँख खुली,
सपनों की दुनिया से बाहर हुई ।
मैं स्टेशन तो पहुंच गई,
लेकिन ट्रेन पहले ही खुल गई ।
उम्र का दोष कहला कर,
मेरी गलतियाँ छिप गई ।
लेकिन दूसरों की नजरों में,
मैं क्यों इतना गिर गई।
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