...

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किसी रात का जलना ऐसा भी हो
जियें कभी किसी ख़्वाब को
की ज़िन्दगी, ज़िन्दगी सी लगे

कभी हो यूँ की दिल आफ़ताब हो
और धड़कनें चाँद तारों से सजे

किसी मोड़ पर मिल जाये कोई
हो गुफ़्तगू, जिसमें शामें ढले

किसी रात का जलना ऐसा भी हो
हो सुबह तो फिर , ज़िन्दगी जगे


© paras