...

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बस इतने समझदार हैं हम
आप हमारे साथ हो जब कितने खुशगवार हैं हम
सच्चे दोस्त की दोस्ती के कितने तलबगार हैं हम

प्यासे को ही पानी की ज्यों तलब हुआ करती है
प्यास अपनी मिटाने को इस कदर बेकरार हैं हम

कुछ काम किसी के आएं कुछ तो अच्छा कर पाएं
इसी ख्वाहिश में हर चुनौती के लिए तैयार हैं हम

अपनी शराफत का फायदा उठा के, वो चल दिए
हम सोचते ही रह गए बस इतने समझदार हैं हम

© PJ Singh

#8lines