...

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जानती हूँ,
जानती हूँ,
कम्मी है मुझमे बहुत सी
नहीं किसी कि सुनती हूँ,
जल्दी गुस्सा हो जाती हूँ,
और गुस्से मे पता नहीं
क्या -क्या बोल जाती हूँ
अगर कोई कह दे कुछ भी
तो जल्दी हि रुठ जाती हूँ,
तकलिफ़ मे होती हूँ,
खामोश हो जाती हूँ,
और बहुत ज्यादा अपनो को सताती हूँ,
पर जैसी भी हर रिश्ता दिल से निभाती हूँ!
Sarita mehra