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एक किरण और दीवार
#वस्तुकाआवारण


धूप की किरण ने दीवार से कहा,
"क्यों यूं खड़ी हो, चुप-चाप, सदा?"
दीवार मुस्काई, धीमे से बोली,
"मैं तो हूं पहरेदार, चुप्पी में खोली।"

किरण हंसी, फिर चमक से भरी,
"तूने देखा क्या, इस दुनिया की गली?"
दीवार ने सांस ली, बोझिल और भारी,
"मैंने देखा हर सपना, हर तस्वीर प्यारी।"

"सपने?" किरण चौंकी, सुनने को आतुर,
"तू तो स्थिर है, कैसे...