...

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जो बीत गया वो बात गई
जो बीत गया वो बात गई, हम जगते थे वो रात गई।
वो रात गई और बात गई, फ़िर खुशियों की सौगात नई।

ये मेघ मंडली साथ हुई, रिमझिम_रिमझिम बरसात हुई।
पेड़ों पर पत्ते नए नए, ये वसुधा भी श्रृंगार किए।
पतझड़_सावन_बरसात गई, जो बीत गया वो बात गई।

बागों में कोयल कूक रही, तरूवों पर बेलें लटक रही।
खिल उठे पुष्प भौरे झूमें, खेतों को हरियाली चूमें।
जाड़ा_गर्मी_बरसात गई, जो बीत गया वो बात गई।


© Jaya Tripathi