...

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एहसास ए जुदाई
इश्क़ की महफ़िल में हम तनहाई को अपनाते रहे,
कोई पूछ न ले हाल हमारा, इसलिए सबसे दूरी बनाते रहे,

लबों को ख़ामोश रखा और ज़ख्मों को भी छुपाते रहे,
कोई पढ़ न ले दर्द इन आंखों में, इसलिए सबसे नज़रें चुराते रहे,

इस राह ए इश्क़ में बर्बाद भी हम ही हुए,
और जब अदालत लगी तो लोग हमें ही गुनेहगार बताते रहे,

ये तो तय है कि तुम्हें कभी हमसे इश्क़ था ही नहीं,
तू बस टाइमपास करती रही और हम इश्क़ के सपने सजाते रहे,

नफ़रत सी हो गई है अब इस इश्क़ के नाम से,
तेरी यादों को तो दफ्न कर खुद को इस इश्क़ में जलाते रहे,

तेरी याद न आए इसलिए तुझे हर जगह से निकाल दिया,
जीना आसान हो जाए इसलिए तेरे अक्स से भी दूरी बनाते रहे।



#street_poetry