...

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वो सर्दी की रात
वो सर्दी की रात भी कुछ कह रही थी,
थोड़ी ठंडी सी हवा भी बह रही थी,
कुहरा मौसम में बढ़ रहा था,
एक शख़्स था मैं जो छत पर घुम रहा था,
देखी मुझे वो अप्सरा थी कि या कोई हूर थी साहब,
जो मेरे घर के सामने रहती थी,
उनकी आँखें बहुत ही प्यारी थी,
मुस्कान होंठों पर गजब ढहाती थी,
ये वो इक तस्वीर थी मोहब्बत की,
जो हर वक्त मेरे जहन में रहती है,
जो ख्वाबों में कभी आती जाती रहती थी,
उस दिन वो मुझे हकीकत में मिली थी
अचानक आँखो से आँखे मिली और मेरा ख्वाब था या सच में,
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