काश...
काश.....
काश अगर ऐसा होता।कोई हमसे नाराज़ ना होता।एक मिट्टी पर बडा सा तालाब होता।किसी के आंसु बेह रहे ये हमे सुनाता।
काश अगर ऐसा होता सबकी इच्छा पूरी होती। जिस को जो चाहिए वो मिल जाता। फिर हमारा गम कभी नहीं दोहराता।
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काश अगर ऐसा होता।कोई हमसे नाराज़ ना होता।एक मिट्टी पर बडा सा तालाब होता।किसी के आंसु बेह रहे ये हमे सुनाता।
काश अगर ऐसा होता सबकी इच्छा पूरी होती। जिस को जो चाहिए वो मिल जाता। फिर हमारा गम कभी नहीं दोहराता।
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