...

7 views

हौसलों की आवाज़
कुछ अनोखी है मगर डरी सी रहती है
क्या है उसके दिल में किसी से ना कहती है
उसकी काबिलियत को कोई देखता नहीं
बस एक कमी को देख नाम मिला था
इसके चलते कोई सच्चा दोस्त ना बना था
फिर मेरी उससे मुलाकात हुई
लाइब्रेरी में बातो की शुरुवात हुई
मुझ संग खूब हंसती खिलखिलाती थी
अपने दिल की मज़े से बताती थी
बोलते हुई कभी को अटक जाती थी
तो थोड़ा डर के सहम जाती थी
मैंने जल्द है सिखा आंखो को पढ़ना उसके
क्युकी वो अपनी परेशानियां खुद कहा बताती थी
आज वो मेरी दोस्त बड़ी खास है
तो क्या हुआ अगर अटकती है
मगर यार उसकी शक्कर सी मीठी आवाज़ है
हम दोनों एक दूसरे के हमराज है
हर हालात में हमेशा साथ है
कमजोर नहीं है वो मेरी यारी उसके साथ है
और हां उड़ाने बड़ी है हमारी इसलिए
उसके इरादों की बुलंद आवाज़ है।