बदलती बस्तियाँ
कल तक वीरान नज़र आता था जो मैदान,
आज बिछ गया वहाँ इमारतों का जाल,
तन्हाई पसंद थी कल तक जिन पहाड़ों को,
आज...
आज बिछ गया वहाँ इमारतों का जाल,
तन्हाई पसंद थी कल तक जिन पहाड़ों को,
आज...