...

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परिंदे बिन पर के -विजय कुमार पाण्डेय
ग़ज़ल
परिंदे बिन पर के नही होते।
उड़ान बिना डर के नही होते।
हौसलों की बात कहां तक करें
यह भी बिना ज़र के नही होते।
रात...