दोमुंहे सांप ✍️✍️✍️
सब इच्छाओं का दमन किया
प्रभु श्रीराम को नमन किया
खुदको खुदसे कर के अलग
प्रभु के समान वन गमन किया !!
अब शेष नहीं कोई इच्छा
अब जचती नहीं कोई भिक्षा
शब्दों की कमी पड़ी ऐसी
लो बंद किया खुदका किस्सा !!
मेरी गाथा अब धूल हुई
मानो गुलरी का फूल हुई
मन गागर मै ही तोड़ चला ...
प्रभु श्रीराम को नमन किया
खुदको खुदसे कर के अलग
प्रभु के समान वन गमन किया !!
अब शेष नहीं कोई इच्छा
अब जचती नहीं कोई भिक्षा
शब्दों की कमी पड़ी ऐसी
लो बंद किया खुदका किस्सा !!
मेरी गाथा अब धूल हुई
मानो गुलरी का फूल हुई
मन गागर मै ही तोड़ चला ...