"रात चाँदनी और तुम"
रात चाँदनी और तुम,
मेरे ख़्यालों में रोज़ रहती हो..!
मन के मध्य मधुरं मधुरं,
सरोज सी सुन्दर बहती हो..!
ख़ामोशी कभी मदहोशी,
मोहब्बत में दोषी रहती हो..!
आज़ाद...
मेरे ख़्यालों में रोज़ रहती हो..!
मन के मध्य मधुरं मधुरं,
सरोज सी सुन्दर बहती हो..!
ख़ामोशी कभी मदहोशी,
मोहब्बत में दोषी रहती हो..!
आज़ाद...