...

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वो भोलापन तुम्हारा...
वो भोलापन तुम्हारा
देखते ही देखते अल्हड़पन में बदल जाना..
जैसे गहर गंभीर सी मुद्रा से मानो
नटखट बचपन झलक जाना..

फिर कुछ कट्टी-मिट्ठी की वो शरारतें..
कुछ चुटकुलों की नोंक झोंक से
मुझे रिझाने की हृदयानन्दित चपलता..
ना मुस्कुराऊँ तो तुम्हारा रूठ जाना..
दूर कहीं छिपकर आंसू बहाना..
मेरे मुस्कुराते ही तुम्हारा खिल खिलाकर हँस जाना..
जो...