और फिर चाहत कर बैठा.....
#WritcoPoemPrompt106
आज ना जाने क्यूं मेरा फोन मुझसे बगावत कर बैठा..
जो लिया उसे हाथो मे तो तेरा नम्बर डायल कर बैठा..
और गुनाह गलती के सिर दे बैठा,,
दिल भी मेरी ना सुनी और तुझसे मिलने की..
तुझसे मे खोने की ज़िद कर बैठा,,
हद तो तब हो गयी जो मेरे हाथो से भी मेरी ना बनी..
और तुम तक कभी ना पहुँच पाने वाली ख़त लिखने की नसीहत दे दी,,
और अंत मे आँखो ने भी बदलो का साथ देते हुए खुद पे ही बारिश कर बैठा,,
© Ankita siingh
आज ना जाने क्यूं मेरा फोन मुझसे बगावत कर बैठा..
जो लिया उसे हाथो मे तो तेरा नम्बर डायल कर बैठा..
और गुनाह गलती के सिर दे बैठा,,
दिल भी मेरी ना सुनी और तुझसे मिलने की..
तुझसे मे खोने की ज़िद कर बैठा,,
हद तो तब हो गयी जो मेरे हाथो से भी मेरी ना बनी..
और तुम तक कभी ना पहुँच पाने वाली ख़त लिखने की नसीहत दे दी,,
और अंत मे आँखो ने भी बदलो का साथ देते हुए खुद पे ही बारिश कर बैठा,,
© Ankita siingh