...

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🌹कुबूल🌹
🌹🌸🌹

पूछा जो पीर ने मुझसे मेरा हासिल ऐ ज़िन्दगी,
था मैं लाज़वाब गोया जीना ही फ़िज़ूल हो गया,

कुराने पाक के सदके उसी दिन से मेरे मौला,
खिदमते इंसानियत बेशक मेरा उसूल हो गया,

ज़िन्दगी गुज़र रही थी बेसबब और बेलगाम सी,
तेरी इक नज़र खुदाया,ये जीना माकूल हो गया,

अब तो आलम यह कि दिल मेरा शाद रहता है,
गोया ब्याज़ और मूल पूरा का पूरा वसूल हो गया,

अजब दर्द सा महसूस होता है जब कोई रोता है,
आंसू पोछना मेरे लिए हिदायत ऐ रसूल हो गया,

अब तो रूह को इश्क है बस खुदा की राह से,
खुश हूं कि ख़ुदा को मैं नाचीज़ कुबूल हो गया!
🌹🌸🌹
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal