2 views
एक वज़ह काफी होती है
एक वज़ह काफी होती है,
खुश रह कर जीने की
छोटी सी जिन्दगी में
क्यों जगह बनायें गमों की
मुस्कुराहटें बांट कर जीने का
अलग ही मज़ा है।
रो रो कर जीने वाले
क्या कर सकते हैं,
भला किसी का.
वो सूरज जो बांटता है
हर किसी को रोशनी
वो चाँद बिखेरता है
पूरी धरती पे चाँदनी
नदियां नही लेती क़ीमत
किसी से अपने जल की
फूलों ने लुटाई यूं ही,
अपनी खूश्बू हल्की हल्की
कुदरत से सीखें हम भी
और बांटे औरों को खुशी,
क्योंकि एक वज़ह काफी होती है।
Related Stories
13 Likes
1
Comments
13 Likes
1
Comments