7 views
कहीं तो मिलेंगे
इस जहाँ मे ना सही
उस जहाँ मे तो कहीं मिलेंगे
ये जिस्मों से जुड़े नाते तोड़ कर
रूह के रास्ते कहीं तो जुड़ेंगे
कौन रखता है इश्क़ का हिसाब यहाँ
उस जहाँ मे तो बेहिसाब मिलेंगे
तुझ सा और कोई हो ये मुमकिन नहीं
तेरी महोब्बत मे हम कहीं तो खिलेंगे
ना मैं कोई वादा करू ना तुम कोई कसम खाना
हिज्र मे कटी रातें तो दिन के उजाले कहीं तो मिलेंगे
ना तारों की ख्वाहिश ना चाँद की दरख्वास्त
जन्नत से भी परे कभी ना कभी जरूर मिलेंगे
© All Rights Reserved
उस जहाँ मे तो कहीं मिलेंगे
ये जिस्मों से जुड़े नाते तोड़ कर
रूह के रास्ते कहीं तो जुड़ेंगे
कौन रखता है इश्क़ का हिसाब यहाँ
उस जहाँ मे तो बेहिसाब मिलेंगे
तुझ सा और कोई हो ये मुमकिन नहीं
तेरी महोब्बत मे हम कहीं तो खिलेंगे
ना मैं कोई वादा करू ना तुम कोई कसम खाना
हिज्र मे कटी रातें तो दिन के उजाले कहीं तो मिलेंगे
ना तारों की ख्वाहिश ना चाँद की दरख्वास्त
जन्नत से भी परे कभी ना कभी जरूर मिलेंगे
© All Rights Reserved
Related Stories
26 Likes
4
Comments
26 Likes
4
Comments