...

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सबका समय अलग है
"सबके अपने-अपने युद्ध हैं सबकी अपनी-अपनी तैयारियां हैं।

कोई आज जीतेगा किसी को कल भी लड़ना पड़ सकता है..
कोई जल्दी जीत जायेगा, कोई देर से शुरू करेगा ।

कोई बिना लड़े जीत जाएगा, किसी को आख़िर तक लड़ना पड़ेगा।

कोई भीड़ में चलेगा और कोई अन्त में अकेला रह जाएगा...

कोई अकेले चलना शुरू करेगा और अन्त में कारवां बन जाएगा.... !!

तुलनाएँ हमें निराश करती हैं... सबके युद्ध अलग है, सबका समय अलग हैं सबकी जीत अलग हैं ...!