...

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भींगे नैन
उधर मेघोँ की बरसात इधर नैनों की बरसात, उधर गीली हो रही खुश्क़ जमीं, इधर गीले हो रहे हैँ तकिये, उधर चाँद छुपा छुपा सा बादल में, इधर नींदे खफ़ा खफ़ा हैँ आँखों से |
© shweta Singh