![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/poem/367230613081427462.webp)
1 views
हाय राम फिर से आई ९वीं जूलाई।
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई,
आँखें भीगाने को,
तुम्हारी यादों में डूबाने को।
काहे को तुमने इतनी जल्दी दुनिया से ले ली विदाई,
इस चिंतन से 'कल्याणी' को एक कारण दिया दिखाई,
इसमें तुम्हारी कोई भूल नहीं है भाई,
जगत के संहारक ने यमदूतों को गलत चौखट दिखलाई,
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई।
इसलिए उनसे आजीवन चलेगी लड़ाई,
आपकी एक भूल ने एक हरे भरे उपवन में अगन लगाई,
जिसने एक साथ कई रिश्तों की डोर जलाई,
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई।
समझ नहीं आता कैसे रोकूं मैं यह रुलाई,
जिसने मेरी डायरी भीगाई,
मानो ये शब्द स्याही से नहीं आंसू की बूंदों से लिखे हों भाई,
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई।
© kalyani
आँखें भीगाने को,
तुम्हारी यादों में डूबाने को।
काहे को तुमने इतनी जल्दी दुनिया से ले ली विदाई,
इस चिंतन से 'कल्याणी' को एक कारण दिया दिखाई,
इसमें तुम्हारी कोई भूल नहीं है भाई,
जगत के संहारक ने यमदूतों को गलत चौखट दिखलाई,
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई।
इसलिए उनसे आजीवन चलेगी लड़ाई,
आपकी एक भूल ने एक हरे भरे उपवन में अगन लगाई,
जिसने एक साथ कई रिश्तों की डोर जलाई,
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई।
समझ नहीं आता कैसे रोकूं मैं यह रुलाई,
जिसने मेरी डायरी भीगाई,
मानो ये शब्द स्याही से नहीं आंसू की बूंदों से लिखे हों भाई,
हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई।
© kalyani
Related Stories
4 Likes
0
Comments
4 Likes
0
Comments