आग का दरिया
तू खुशबू बिखेर गुलाबों की तरह
आ मैं पढ़ूं तुम्हें किताबों की तरह
इक अदा ही काफी है मदहोश करने को
तेरी नज़र का सरूर है शराबों की तरह
आ दो जिस्म एक जान हो जाएं हम
आ ओढ़ लूं...
आ मैं पढ़ूं तुम्हें किताबों की तरह
इक अदा ही काफी है मदहोश करने को
तेरी नज़र का सरूर है शराबों की तरह
आ दो जिस्म एक जान हो जाएं हम
आ ओढ़ लूं...