नहीं आते..
हमें ग़ज़लें तो आती हैं तराने पर नहीं आते !
हैं क़िस्से तो बहुत हम पर सुनाने पर नहीं आते !
इसी डर से हैं मिलते हर किसी से फ़ासलों से हम
बना सकते हैं हम रिश्ते निभाने पर नहीं आते !
फ़िदा हर एक इंसाँ है मिरी बस एक मुस्काँ पर...
हैं क़िस्से तो बहुत हम पर सुनाने पर नहीं आते !
इसी डर से हैं मिलते हर किसी से फ़ासलों से हम
बना सकते हैं हम रिश्ते निभाने पर नहीं आते !
फ़िदा हर एक इंसाँ है मिरी बस एक मुस्काँ पर...