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तू एक शायर की मोहोब्बत है
तू एक शायर की मोहोब्बत है
किसी राहगीर की हसरत नहीं
तेरे रास्ते की मैं बनूँ रुकावट
उफ़ ओह जाना, तेरा दिलखुश आशिक हूँ
कोई बन्द किवाड़ या दस्तक नहीं
और तेरे ख़्वाबों, तेरे सपनों को जो मैं करू कैद
मेरी तहजीब, मेरी तंजीम और मेरी फितरत में नहीं

एक अरसा मैंने मोहोब्बत को दबाया
फिर जो कभी मौका मिल ही गया
तो बड़ी उम्मीद से था हाथ बढ़ाया
पर मेरी बातें और मेरी सच्ची चाहते
शायद! तुम्हें रहीं ना गवारा
फिर भी बेफिक्र रहा और ना कभी दिल हारा
पर जाना... दिल तो शायद तब टूटा
जब मेरी बातों के लिए तूने
बनाया किसी और को सहारा

तूने करी बातें, और ना जाने कितनो को बताया
एक बार भी कभी यह तेरे ज़ेहन में नी आया
कि...शायद बन्दे की मोहोब्बत हो सच्ची
माना तुझे खुद पे और झूठी इस दुनिया पर
अब कोई ऐतवार ही नहीं !

पर! क्या पता उसकी तारीफें हो सच्ची
उसकी नज़र में तू हो सारी कायनात से अच्छी
पर! यह दुनिया अच्छी है
तूने यह बहम उसका तोड़ दिया
एक फूल जो अभी खिलना वाकी था 
उसने उम्मीद करना ही छोड़ दिया

विशाल शर्मा