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बंधुआ का परिचय पद 2
पर धिक्कार तो है तुम पर,
आज महापुरुष कल बिस्तर में दुरूस्त
ना जाने कितने नाकब पहने तुमने,
गली के बाहर गुजरते हो तो गाली देते हो,
गली में आते हो तो घरवाली समझते हो,
मेरा तो सिर्फ एक आस्तित्व है,
तुमहारा तो कोई सत्व ही नहीं,
ये बाते रहने ही दूं तो अच्छा है,
शायद कोई फायदा नहीं क्योंकि,
ये समाज तुम्हें नज़र से देखता है,
हमें बुरे नजरिए से सोचता है,
लेखक श्री कृष्ण
लेखिका -एक आवाज़ दबी हुई।।
#जोशवैशया
© All Rights Reserved
आज महापुरुष कल बिस्तर में दुरूस्त
ना जाने कितने नाकब पहने तुमने,
गली के बाहर गुजरते हो तो गाली देते हो,
गली में आते हो तो घरवाली समझते हो,
मेरा तो सिर्फ एक आस्तित्व है,
तुमहारा तो कोई सत्व ही नहीं,
ये बाते रहने ही दूं तो अच्छा है,
शायद कोई फायदा नहीं क्योंकि,
ये समाज तुम्हें नज़र से देखता है,
हमें बुरे नजरिए से सोचता है,
लेखक श्री कृष्ण
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